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Monday 4 June 2018

*अबू सुफ़यान की कुर्बानियां*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     अमीरे मुआविया رضي الله عنه के वालिद अबू सुफ़यान رضي الله عنه क़बिलए क़ुरैश की शाख बनू उमय्या की अहम तरीन शख़्सिय्यत थे यही वजह है कि अबू जहल के ग़ज़वाए बद्र में क़त्ल होने के बाद तमाम क़बाइल की मुत्तफ़िक़ा राए से आप सरदारे मक्का हुवे। फ़त्ह मक्का के दिन आप رضي الله عنه ने इस्लाम कबूल किया और इसी रोज़ हुज़ूर ने अबू सुफ़यान के घर को "दारुल अमान" यानी अम्न का घर क़रार दे कर आप को खुसूसी इम्तियाज़ से नवाज़ा। हज़रते अबू सुफ़यान ने इस्लाम क़बूल करने के बाद अपनी तमाम तर कोशिशें दीने इस्लाम की सर बुलन्दी में सिर्फ फ़रमाई। इस दौरान आप رضي الله عنه ने बहुत कुर्बानियां दीं और अपनी जुरअत व बहादुरी का अमली मुज़ाहरा फ़रमाया यहां तक कि अपनी दोनों आंखें राहे खुदा में कुर्बान कर दीं।
     जब अबू सुफ़यान رضي الله عنه ग़ज़वाए हुनैन में हाज़िर हुवे तो हुज़ूर ने आप को माले गनीमत से 100 ऊंट ओर 40 ऊकिया अता फरमाए ओर आप के दोनों फ़रज़न्द अमीरे मुआविया ओर यज़ीद बिन अबी सुफ़यान को भी इतना ही अता फ़रमाया।
     ग़ज़वाए ताइफ़ में भी आप رضي الله عنه ने शिरकत की ओर इसमे आप की एक आंख शहीद हुए, आप की दूसरी आंख जंगे यरमुक में शहीद हुई। याद रहे जंगे यरमुक के सिपाह सालार अबू सुफ़यान के फ़रज़न्द यज़ीद बिन अबी सुफ़यान थे। (ये यज़ीदे पलीद के चचा थे, वो बदबख्त था लेकिन वालिद ओर चचा खुशबख्त थे) दोनों आंखों का राहे खुदा में शहीद हो जाना ये किस क़दर अज़मत की बात है लेकिन ये तो आप رضي الله عنه की अज़मत का ज़ाती पहलू है आप के मक़ामो मर्तबे को पहचानने के लिये आप के अहले खाना के अज़ीम किरदार ان شاء الله अगली पोस्ट में देखेंगे।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 19
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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