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Thursday 25 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-15, आयत, ①②④*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब (2) इब्राहिम को उसके रब ने कुछ बातों से आज़माया (3) तो उसने वो पूरी कर दिखाई (4) फ़रमाया मैं तुम्हें लोगों का पेशवा बनाने वाला हूँ अर्ज़ की मेरी औलाद से, फ़रमाया मेरा एहद ज़ालिमों को नहीं पहुंचता (5)


*तफ़सीर*

     (2) हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की पैदाइश अहवाज़ क्षेत्र में सूस रुथान पर हुई फिर आपके वालिद आपको नमरूद के मुल्क बाबुल में ले आए.यहूदि और ईसाई और अरब के मु्श्रिक सब आपकी बुजु़र्गी मानते और आपकी नस्ल में होने पर गर्व करते हैं. अल्लाह तआला ने आपके वो हालात बयान फ़रमाए जिनसे सब पर इस्लाम क़ुबूल करना लाज़िम हो जाता है, क्योंकि जो चीज़ें अल्लाह तआला ने आप पर वाजिब कीं वो इस्लाम 

की विशेषताओं में से हैं.

     (3) खु़दाई आज़माइश यह है कि बन्दे पर कोई पाबन्दी लाज़िम फ़रमाकर दूसरों पर उनके खरे खोटे होने का इज़हार कर दे.

     (4) जो बातें अल्लाह तआला ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर आज़माइश के लिये वाजिब की थीं, उनमें तफसीर करने वालों के चन्द कौ़ल है. क़तादा का कहना है कि वो हज के मनासिक है. मुजाहिद ने कहा इससे वो दस चीज़ें मुराद है जो अगली आयतों में बयान की गई हैं. हज़रत इब्ने अब्बास का एक कौ़ल यह है कि वे दस चीज़ें ये हैं, मूंछें कतरवाना , कुल्ली करना, नाक में सफा़ई के लिये पानी इरुतेमाल करना, मिरुवाक करना, सर में मांग मिकालना, नाख़ुन तरशवाना, बग़ल के बाल दूर करना, पेडू के नीचे की सफ़ाई, ख़तना, पानी से इरुतंजा करना. ये सब चीज़ें हज़रत  इब्राहीम पर वाजिब थीं और हम पर उनमें से कुछ वाजिब हैं.

     (5) यानी आपकी औलाद में जो ज़ालिम (काफ़िर) हैं वो इमारत की पदवी न पाएंगे. इससे मालूम हुआ कि काफ़िर मुसलमानों का पेशवा नहीं हो सकता और मुसलमानों को उसका अनुकरण जायज़ नहीं.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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