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Monday 1 October 2018

_नमाज़ की अहमिय्यत अहादिष की रौशनी में_* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा ﷺ : सबसे पहले क़यामत के दिन आदमी से उसके आमाल के सिलसिले में नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा अगर ये दुरुस्त हुई तो ये कामयाबी और नजात पाएगा और अगर नमाज़ पूरी न हुई तो ये घाटा और नुक़्सान उठाएगा।

*✍🏼तिर्मिज़ी शरीफ*

     लिहाज़ा मुसलमानों को चाहिये कि नमाज़ की जहाँ तक हो सके पाबन्दी करें ताकि क़यामत के दिन ज़िल्लत और रुसवाई का सामना न करना पड़े।


     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह ने तौहीद और नमाज़ से बढ़कर अपनी मख्लूक़ पर कोई चीज़ फ़र्ज़ नहीं की अगर नमाज़ से ज़्यादा महबूब अल्लाह के नज़्दीक कोई चीज़ होती तो फरिश्तों के लिये उसी को मुकर्रर फरमा देता हालांकि इन फरिश्तों में से कोई रूकू में है, कोई सज्दे में है।

*✍🏼कन्जुल उम्माल*

*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यत* 13

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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