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Thursday 11 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #276


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*अल्लाह के वली की ताक़त जिन्न से ज़्यादा*

     सुलेमान عليه السلام ने जब फ़रमाया तख्त कौन लायेगा? एक बड़ा खबीस जिन्न बोला कि वो तख्त आपकी खिदमत में मैं हाज़िर करूँगा। इससे पहले की आप इजलास बर्खास्त करे अउ बेशक में उस पर कुव्वत वाला अमानतदार हु।

     हज़रत क़तादा رضي الله عنه का क़ौल है कि सुलेमान عليه السلام सुबह से ले कर ज़ुहर तक मजलिसे अदालत क़ायम फरमाते थे जिसमें लोगो के दरमियान फैसला करते थे। गोया उस जिन्न का मतलब ये था कि में आधा दिन गुज़रने से पहले आपके पास पहुंचा दूंगा।

     चुनांचे एक आदमी (जो अल्लाह का वली था) खड़ा हुआ उसने मोअड्डेबान ईलतेमास किया कि मेरे पास किताब का इल्म है। अगर मुझे इरशाद हो तो आंख झपकने से पहले तख्त वहां से उठाकर आपके क़दमों में लाकर रख दु। आपने इजाज़त मरहमत फ़रमाई और जब आपने आंख खोली तो तख्त वहां मौजूद था।

     आप عليه السلام ने अपने एक खादिम की इस कुव्वत का मुशाहिदा किया तो फौरन अपने मौला का शुक्र अदा करने लगे, अर्ज़ किया ये मेरे रब का फ़ज़्ल व करम है जिसने मुझे इतनी इज़्ज़त और सर्फ़राज़ी बख्शी है कि मेरे खुद्दाम ऐसा काम कर सख्ते है। इसके बाद फ़रमाया फ़ज़्ल बहुत बड़ी आज़माइश है अल्लाह मुझे आज़माना चाहता है में उसकी इनायतें जलीला पर उसका शुक्र अदा करता हूँ।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 232

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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