بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
सवाल ये भी होता है कि, पहले की किताबो में लोगों ने मिलावट क्यूं की और अल्लाह ने इस मिलावट को दूर क्यों न किया ?
अल्लाह ने लोगो की हिदायत के लिये किताबे नाज़िल फ़रमाई। इससे हिदायत और नजात की राह दिखाई। अब लोगों के जिम्मे था कि इन किताबो को मजबूती से थाम लेते और उस पर अमल करते। लेकिन लोग शैतान के बहकावे में आ गए और इस जिम्मेदारी को भूल गये की अल्लाह ने हमे किताब क्यूं अता फ़रमाई और हमे किताब की किस तरह हिफाज़त करनी चाहिये।
दूसरी बात ये की अल्लाह ने जिस क़ौम को किताब अता फ़रमाई जस की हिफाज़त उस क़ौम के जिम्मे कर दी। अब हुआ यूं के उस क़ौम के आलिम गुरबा व मसाकीन के लिये खुदाई हुक्म देते और जब कोई दौलत मंद की बात आती तो वो उनको बचाने के लिये इसमें रद्दो बदल कर देते। इस तरह के काम उस क़ौम के नबी के दुन्या से जाने के बाद होते रहे।
*हिफाज़त की जिम्मेदारी लोगो को क्यों दी गई?*
सवाल ये भी होता है कि इसकी जिम्मेदारी लोगो को क्यों दी अगर अल्लाह अपने जिम्मे रखता तो लोग इसमें रद्दो बदल न करते।
अल्लाह ने लोगों के इम्तेहान के लिए ये जिम्मेदारी क़ौम को दी, की ये मेरी किताब है जो नबी के ज़रिये आप तक पहोंची है। पर क़ौम अल्लाह के इम्तेहान में नाकाम हुए।
दूसरी बात ये है कि अल्लाह فَقَّالُ لِّمَايُرِيْدُ है। उसने ये इरादा किया कि किताब की हिफाज़त क़ौम को दी जाये।।
तीसरी बात ये की एक नबी के बाद दूसरा नबी और एक रसूल के बाद दूसरा रसूल आने वाले है। तो जो रद्दो बदल होगा वो दूसरे नबी और रसूल की तालीमात सही हो जाएगा। इसी वजह से क़ौम को ये जिम्मेदारी दी।
*✍️क़ुरआन एक ज़िंदा मोजिज़ा* 18
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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