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Thursday 4 October 2018

*क़ुरआन की हिफाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह ने कयों ली?*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     पहला जवाब तो ये कि अल्लाह فَقَّالُ لِّمَا يُرِيْدُ वो को चाहे वो फैसला कर सकता है। उसका फैसला क़ुरआन के लिए ये किया कि उसकी हिफाज़त की जिम्मेदारी मेरे जिम्मे करम रखूंगा।

     दूसरा जवाब ये की हुज़ूर ﷺ अल्लाह के आखरी नबी और रसूल है। आपके बाद अब कोई नबी या रसूल आनेवाले नहीं। तो अब क़ुरआन की जिम्मेदारी लोगों को दे दी जाती तो लोग इस इम्तेहान में नाकाम हो कर दीन में खराबी पैदा कर देते और दीन बर्बाद हो जाता। इस वजह से अल्लाह ने अपने फ़ज़लों करम से हिफाज़त की जिम्मेदारी ली और दीन को खराबी से बचाया।

     अल्लाह फरमाता है: बेशक! हमने नाज़िल किया ये क़ुरआन और बेशक! हम खुद उसकी हिफाज़त करेंगे।

     मुसलमानों के सीने को खोल दिये गए, जब अल्लाह ने क़ुरआन के हिफाज़त की जिम्मेदारी ली तो उसने मुसलमानों के लिये क़ुरआन को याद करना आसान कर दिया।

     पहले की किताबो के हाफ़िज़ सिर्फ नबी थे, लेकिन क़ुरआन एक मोजिज़ा है कि कम वक़्त में और कम मेहनत में मुसलमानों के छोटे बच्चों को भी हिफ़्ज़ हो जाए। जिस कलाम के लिये सिर्फ नबी का सीना खोल दिया जाता था, क़ुरआन के लिए सभी मुसलमानों का सीना खोल दिया गया। मुसलमानों की बस्तियों के छोटे से छोटा गांव भी ऐसा न होगा जहां एक क़ुरआन का हाफ़िज़ न हो। आज पूरे जहां में लाखों की तादाद में हाफ़िज़ मौजूद है, जो एक ज़ेर ज़बर की भी गलती नहीं होने देते।

*✍️क़ुरआन एक ज़िन्दा मोजिज़ा* 20

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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