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Wednesday 3 October 2018

*अल्लाह की नाज़िल करदा किताबे कलामुल्लाह है*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ऐसा नही की हमारे आक़ा ﷺ पे जो किताब क़ुरआन उतारा गया वोही कलामुल्लाह है यानी अल्लाह का कलाम है। बल्कि उसी तरह जितनी किताबे अल्लाह ने अपने मुक़द्दस रसूलों पर नाज़िल फ़रमाई वो सभी किताबे कलामुल्लाह है और ये सभी किताबों पे ईमान लाना ज़रूरी है।


     इससे कुछ लोगो को ये शको सूबा है कि जब अगली किताबो की हर बात कैसे क़बूल करले, जब कि ये साबित हो चुका है कि उसमें लोगोंने रद्दो बदल कर दिए है।

     तो इसका जवाब ये है कि ईमान की दो किसमे है : (1) किसी चीज़ पर ईमान (2) उसकी तफसील पर ईमान।

     यह शको सूबा दूसरे नंबर से है, तो हम यूँ कहेंगे अल्लाह की किताब पर ईमान लाया, यानी अल्लाह ने किताब नाज़िल की थी उसपे ईमान है। इस से अल्लाह की किताबो पर ईमान लाना मुकम्मल हो जाएगा।

     इसी तरह सभी नबियों पर ईमान लाना ज़रूरी है। हर एक पर अलग अलग ईमान का इकरार करना ज़रूरी नही। क्योंकि सभी नबियों के नाम बयान नही किये गये और उनकी तादाद में भी इख़्तेलाफ़ है। तो इतना मानना ज़रूरी है कि में अल्लाह के सभी नबियों पर ईमान लाया हूं।

*✍️क़ुरआन एक ज़िंदा मिजिज़ा*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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