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Monday 4 December 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 69*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रहमते खुदावन्दी से ना उम्मीद होना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : बेशक अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद नहीं होते मगर काफ़िर लोग।
*✍🏼يوسف:٨٧*
     और वही है कि मींह उतारता है उन के ना उम्मीद होने पर।
*✍🏼الشورى:٢٨*
     तुम फ़रमाओ ऐ मेरे वो बन्दों जिन्हों ने अपनी जानों पर ज़्यादती की अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद न हो।
*✍🏼الزمر:٥٣*

*_मरते वक़्त अल्लाह से अच्छी उम्मीद हो_*
     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : तुम में से कोई न मरे मगर इस तरह कि अल्लाह से अच्छी उम्मीद रखता हो।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 202

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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