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Thursday 7 December 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 73*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_जुवा खेलना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : शराब और जुवा और बूत और पांसे नापाक ही है शैतानी काम तो इन से बचते रहना कि तुम फलाह पाओ शैतान यही चाहता है कि तुम में बैर और दुश्मनी डलवा दे शराब और जुए में और तुम्हें अल्लाह की याद और नमाज़ से रोके तो क्या तुम बाज़ आए।
*✍🏼الماىٔدة:٩٠،٩١*

*_जुए की दावत देने पर सदके का हुक्म_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ जिस शख्स ने अपने साथी से कहा : आओ में तुम्हारे साथ जुवा खेलूं तो उसे चाहिये कि (बतौरे कफ़्फ़ारा) सदक़ा दे।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 210
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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