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Saturday 24 March 2018

*क़ुरआन में मे'राज का बयान* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*आयत को लफ्ज़ سُبْحٰنٙ से शुरू करने की हिकमत*
     अल्लाह ने इस आयत के शुरू में سُبْحٰنٙ الّٙذِىْ कह कर अपनी पाकी बयान फ़रमाई। ये कलिमा तअज्जुब के मौक़ा पर बोला जाता है, उलमा फ़रमाते है: चुकीं वाक़ीआए मेराज बहुत ही हैरत अंगेज़ वाक़ीआ है और इन्सानी अक़्ल वाक़ीआए मेराज बहुत ही हैरत अंगेज़ वाक़ीआ है और इन्सानी अक़्ल से बाला तर। इसी लिये फ़रमाया سُبْحٰنٙ الّٙذِىْ यानी ये उस के इरादे से हुवा जो इज्ज़ से पाक है हर तरह क़ादिर है। हुज़ूर ﷺ के जिस्मे अतहर का ऊपर की तरफ जाना, कुर्रए आग व ज़महरीर से सलामत गुज़र जाना, आसमानों में दाखिल हो जाना, जन्नत व दोज़ख की सैर फरमाना, फिर इस क़दर जल्द वापस आ जाना अगर्चे बहुत मुश्किल मालुम होता है, मगर रब्बे क़दीर के नज़दीक कुछ मुश्किल नहीं।

*गुनाहों से नजात पाने का नुस्खा*
     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते है: जो कोई इस इसमें इलाही का वज़ीफ़ा करे "يٙا سُبْحٰنٙ" पढ़ा करे अल्लाह उसे गुनाहों से पाक फ़रमाएगा। हर इसमें इलाही की तजल्ली आमिल पर पड़ती है जो "يٙا غٙنِى" का वज़ीफ़ा पढ़े खुद गनी और मालदार हो जावे।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 57
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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