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Wednesday 3 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #267


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सबा शहर के मुतअल्लिक़*

     इमाम याक़ूत हमवी मअजमुल बिलदान में सबा के मुतअल्लिक़ लिखते है: सबा यमन के एक इलाके का नाम है जसिका मर्क़ज़ी शहर मआरीब है जो सनआ (यमन के मौजूदा दारुल हुकूमत) से तीन दिन की मसाफत पर है।

    यशहब बिन यारीब बिन क़हतना के बेटे सबा नामी की औलाद वहां आबाद हुई इसलिये ये इलाक़ा सबा कहलाया।

     सबा एक शहर का नाम है जिसे सबा बिन यशहब बिन यारीब बिन क़हतान ने आबाद किया था ये शहर दिफ़ाई लिहाज़ से बहुत मुस्तहकम और गंजान आबाद था। इसकी हवा बड़ी पाकीज़ा और बहुत मीठी थी, बाग़ात की कसरत थी जिनके फल बड़े लज़ीज थे। तरह तरह के हैवानात बक्सरत से पाए जाते थे, सफाई का ये हाल था कि मख्खी मच्छर का नाम व निशान तक न था। इर्द गिर्द पहाड़ों के सिलसिला था, बारिश होती तो पानी बह कर रेगिस्तानों में ज़ाया हो जाता। बिलक़ीस के अहदे हुकूमत में दो पहाड़ो के दरमियान एक ज़बरदस्त बांध तामीर किया गया जिसमें बारिश का पानी जमा हो जाता इस बांध के इखराज के ऊपर नीचे कई सुराख थे। हस्बे ज़रूरत बारिश का पानी ले लिया जाता। जो मुख्तलिफ नहरों के ज़रिये तमाम इलाक़ा को सैराब करता। लोग बहुत खुशहाल हो गये, खुशहाली अपने हमराह ऐश व इशरत और फिस्क़ व फजूर को ले आई। जब उनकी नाफ़र्माणियाँ हद से बढ़ गई तो कहरे इलाही सैलाब की सूरत में ज़ाहिर हुआ। बांध टूट गया सारा इलाक़ा बर्बाद हो गया। इसका ज़िक्र क़ुरआन में कई मवाके पर आया है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 226

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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