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Tuesday 22 January 2019

*क़यामत और उसकी निशानियां* #12


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - महशर की हौलनाकियों, आफ्ताब की नज़दीकी से भेजे खोलने, बदबूदार पसीनों की तकालीफ़ और इन मुसीबतों में हजारहा बरस की मुद्दत तक मुब्तला और परेशान रहने का जो बयान फ़रमाया येह सब के लिये है या अल्लाह तआला के कुछ बन्दे उस से मुस्तसना भी हैं यानी जो इस में शामिल नहीं ? 

     *जवाब* - इन अहवाल में से कुछ भी अम्बिया व औलिया व अतकिया (परहेज़गार) व सुलह (नेक) को न पहुंचेगा वोह अलाह तआला के करम से इन सब आफ़तों और मुसीबतों से महफूज़ होंगे। कियामत का पचास हजार बरस का दिन जिस में न एक लुक्मा खाने को मयस्सर होगा, न एक कतरा पीने को, न एक झोंका हवा का। ऊपर से आफ्ताब की गर्मी भुन रही होगी, नीचे जमीन की तपिश, अन्दर से भूक की आग लगी होगी। प्यास से गर्दनें टूटी जाती होगी, सालहा साल की मुद्दत खड़े खड़े बदन कैसा दुखा हुवा होगा, शिद्दते खौफ़ से दिल फटे जाते होंगे। इन्तिजार में आंखें उठी होंगी, बदन का पुर्जा पुर्जा लरज़ता कांपता होगा, बोह तवील दिन अल्लाह तआला के फज़ल से उस के खास बन्दों के लिये एक फ़र्ज़ नमाज के वक्त से ज़ियादा हल्का और आसान होगा।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 43

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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