بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
(दुआ के आदाब में से यह भी है कि) दुआ के कबूल में जल्दी न करे। हदीस शरीफ में है कि खुदाए तआला तीन आदमियों की दुआ कबूल नहीं करता। एक वोह कि गुनाह की दुआ मांगे। दूसरा वो ऐसी बात चाहे कि कत्ए रेहम हो। तीसरा वोह कि कबूल में जल्दी करे कि मैं ने दुआ मांगी अब तक कबूल नहीं हुई।
*✍️ الترغيب والترهيب*
इस हृदीस में फ़रमाया गया है कि ना जाइज़ काम की दुआ न मांगी जाए कि वोह कबूल नहीं होती। नीज़ किसी रिश्तेदार का हक जाएअ होता हो ऐसी दुआ भी न मांगें और दुआ की कबूलिय्यत के लिये जल्दी भी न करें वरना दुआ कबूल नहीं की जाएगी।
*✍️मदनी पंजसुरह* 189
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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