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Saturday 18 February 2017

*फैजाने नवाफ़िल* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़े इशराक़_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो नमाज़े फज्र बा जमाअत अदा करके ज़िकरुल्लाह करता रहे यहाँ तक की आफताब बुलंद हो गया फिर 2 रकअत पढ़ी तो उसे पुरे हज व उम्रा का षवाब मिलेगा।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/100*

     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो शख्स नमाज़े फज्र से फारिग होने के बाद अपने मुसल्ले में (यानि जहा नमाज़ पढ़ी वही) बेठा रहा हत्ता की इशराक़ के नफ्ल पढ़ ले सिर्फ खैर ही बोले तो उस के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग से भी ज़्यादा हो।
*✍🏽अबी दाऊद, 2/41*
     हदिष के इस हिस्से "अपने मुसल्ले में बेठा रहे" की वजाहत करते हुए हज़रते मुल्ला अली कारी अलैरहमा फरमाते है : मस्जिद या घर में इस हाल में रहे की ज़िक्र या गौरो फ़िक्र करने या इल्मे दिन सिखने सिखाने या बैतुल्लाह के तवाफ़ में मशगूल रहे, नीज़ "सिर्फ खैर ही बोले" के बारे में फरमाते है : फज्र और इशराक़ के दरमियान खैर यानी भलाई के सिवा कोई गुफ्तगू न करे क्यू की ये वो बात है जिस पर षवाब मुरत्तब होता है।
*✍🏽मिरक़ात, 3/396*

*नमाज़े इशराक़ का वक़्त :* सूरज तुलुअ होने के कम अज़ कम 20 या 25 मिनट बाद से ले कर ज़हवाए कुब्रा तक नमाज़े इशराक़ का वक़्त रहता है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 277*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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