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Friday 3 February 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #142
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑨③_*
     और उनसे लड़ो यहाँ तक कि कोई फ़ितना न रहे और एक अल्लाह की पूजी हो, फिर अगर वो बाज़ आएं तो ज़्यादती नहीं मगर ज़ालिमों पर.
*तफ़सीर*
     क़ुफ्र और बातिल परस्ती से.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑨④_*
     माहे हराम के बदले माहे हराम और अदब के बदले अदब है जो तुमपर ज़ियादती करे उसपर ज़ियादती करो उतनी ही जितनी उसने की, और अल्लाह से डरते रहो और जान रखो कि अल्लाह डरने वालों के साथ है.
*तफ़सीर*
     जब पिछले साल ज़िल्क़ाद सन छ हिजरी में अरब के मुश्रिको ने माहे हराम की पाकी और अदब का लिहाज़ न रखा और तुम्हें उमरे की अदायगी से रोका तो ये अपमान उनसे वाक़े हुआ और इसके बदले अल्लाह के दिये से सन सात हिजरी के ज़िल्क़ाद में तुम्हें मौक़ा मिला कि तुम क़ज़ा उमरे को अदा करो.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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