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Sunday 19 February 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #152
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②ⓞ⑦_*
     और  कोई आदमी अपनी जान बेचता है अल्लाह की मर्ज़ी चाहने में और अल्लाह बन्दों पर मेहरबान है.

*तफ़सीर*
     हज़रत सुहैब इब्ने सनान रूमी मक्कए मुकर्रमा से हिजरत करके हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ख़िदमत में मदीनए तैय्यिबह की तरफ़ रवाना हुए. कुरैश के मुश्रिकों की एक जमाअत ने आपका पीछा किया तो आप सवारी से उतरे और तरकश से तीर निकाल कर फ़रमाने लगे कि ऐ क़ुरैश तुम में से कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक कि मैं तीर मारते मारते तमाम तरकश ख़ाली न करदूं और फिर जब तक तलवार मेरे हाथ में रहे उससे मारूं. उस वक़्त तक तुम्हारी जमाअत का खेत हो जाएगा. अगर तुम मेरा माल चाहो जो मक्कए मुकर्रमा में ज़मीन के अन्दर गड़ा है. तो मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ, तुम मुझसे मत उलझो. वो इसपर राज़ी हो गए. और आपने अपने तमाम माल का पता बता दिया. जब हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए तो यह आयत उतरी. हुज़ूर ने तिलावत फ़रमाई और इरशाद फ़रमाया कि तुम्हारी यह जाँफ़रोशी बड़ी नफ़े वाली तिजारत है.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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