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Sunday 12 February 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #147
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑨⑨_*
     फिर बात यह है कि ऐ कुरैशियो तुम भी वहीं से पलटो जहाँ  से लोग पलटते हैं और अल्लाह से माफ़ी मांगो बेशक अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है.

*तफ़सीर*
     क़ुरैश मुज़्दलिफ़ा में ठहरते थे और सब लोगों के साथ अरफ़ात में न ठहरते. जब लोग अरफ़ात से पलटते तो ये मुज़्दलिफ़ा से पलटते और इसमें अपनी बड़ाई समझते. इस आयत में उन्हें हुक्म दिया गया कि सब के साथ अरफ़ात में ठहरें और एक साथ पलटें. यही हज़रत इब्राहीम और इस्माईल अलैहुमस्सलाम की सुन्नत है.
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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