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Wednesday 22 February 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #155
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②①①_*
     बनी इस्राईल से पूछो हमने कितनी रौशन निशानियाँ उन्हें दीं  (1) और जो अल्लाह की आई हुई नेअमत को बदल दे (2) तो बेशक अल्लाह का अज़ाब सख़्त है.

*तफ़सीर*
     (1) कि उनके नबियों के चमत्कारों को उनकी नबुव्वत की सच्चाई का प्रमाण बनाया. उनके इरशाद और उनकी किताबों को दीने इस्लाम की हक़्क़ानियत और इसके सच्चे होने का गवाह किया.
     (2) अल्लाह की नेअमत से अल्लाह की आयतें मुराद हैं. जो मार्गदर्शन और हिदायत का कारण हैं और उनकी बदौलत गुमराही से छुटकारा मिलता है. उन्हीं में से वो आयतें है जिनमे सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तारीफ़ और गुणगान और हुज़ूर की नबुव्वत व रिसालत का बयान है. यहूदियों और ईयाईयों ने इस बयान में जो तबदीलियाँ की हैं वो इस नेअमत की तबदीली है.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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