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Thursday 2 February 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #141
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑨①_*
     और काफ़िरों को जहाँ पाओ मारो (8)
और उन्हें निकाल दो (9)
जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला था (10)
और उनका फ़साद तो क़त्ल से भी सख़्त है (11)
और मस्जिदे हराम के पास उनसे न लड़ो जब तक वो तुम से वहां न लड़े (12)
और अगर तुमसे लड़ें तो उन्हें क़त्ल करो (13)
काफ़िरों की यही सज़ा है.
*तफ़सीर*
     (8) चाहे हरम हो या ग़ैर हरम.
     (9) मक्कए मुकर्रमा से.
     (10) पिछले साल, चुनांचे फ़त्हे मक्का के दिन जिन लोगों ने इस्लाम क़ुबूल न किया उनके साथ यही किया गया.
     (11) फ़साद से शिर्क मुराद है या मुसलमानों को मक्कए मुकर्रमा में दाख़िल होने से रोकना.
     (12) क्योंकि ये हरम की पाकी के विरूद्ध है.
     (13) कि उन्होंने हरम शरीफ़ की बेहुरमती या अपमान किया.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑨②_*
     फिर अगर वो बाज़ (रूके) रहें तो बेशक अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है.
*तफ़सीर*
क़त्ल और शिर्क से.
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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