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Friday 7 July 2017

*बैठने की सुन्नते और आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ बुज़ुर्गो की निशस्त पर बैठना अदब के खिलाफ है। हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान عليه رحما लिखते है : पीर व उस्ताज़ की निशस्त पर उन की गैर मोजुदगी में भी न बेठे।

★ कोशिश करे की उठते बैठते वक़्त बुज़ुर्गाने दिन की तरफ पीठ न होने पाए और पाउ तो उन की तरफ न ही करे।

★ जब कभी इज्तिमाअ या मजलिस में आए तो लोगो को फलांग कर आगे न जाए जहां जगह मिले वही बैठ जाए।

★ मजलिस से फारिग हो कर ये दुआ 3 बार पढ़ ले तो गुनाह मुआफ़ हो जाएंगे। और इस्लामी भाई मजलिसे खैर व मजलिसे ज़िक्र में पढ़े तो उस के लिये उस खैर पर मोहर लगा दी जाएगी।
سُبْحٙانٙكٙ اللّٰهُمّٙ وٙبِحٙمْدِكٙ لٙا اِلٰه اِلّٙا اٙنْتٙ اٙسْتٙغْفِرُكٙ وٙاٙتُوْبُ اِلٙيْكٙ
तर्जमा : तेरी ज़ात पाक है और ऐ अल्लाह ! तेरे ही लिये तमाम खुबिया है, तेरे सुवा कोई माबूद नही, तुझ से बख्शीश चाहता हु और तेरी तरफ तौबा करता हु।

★ जब कोई आलिमे बा अमल या मुत्तक़ी शख्स या सय्यिद सहाब या वालिदैन आए तो ताज़िमन खड़े हो जाना षवाब है। मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما लिझते है : बुज़ुर्गो की आमद पर ये दोनों काम यानी ताज़िमी क़याम और इस्तिक़बाल जाइज़ बल्कि सुन्नते सहाबा है बल्कि हुज़ूर की सुन्नते कौली है।

ऐ हमारे प्यारे अल्लाह ! हमे उठने बैठने की सुन्नतो और आदाब पर अमल पैरा होने की तौफिके रफ़ीक़ मर्हमत फरमा।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 101*

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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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