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Wednesday 5 July 2017

*चलने की सुन्नते और आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم की हयाते तय्यिबा ज़िन्दगी के हर शोबे में हमारी रहनुमाई करती है। मुसलमान की चाल भी इम्तियाज़ी होनी चाहिये। गरीबान खोल कर, गले में ज़न्जीर सजाए, सीना तान कर, क़दम पछाड़ते हुए चलना अहमक़ो और और मगरुरो की चाल है। मुसलमानो को दर्मियाना और पुर वक़ार तरीके पर चलना चाहिये।

★ अगर कोई रुकावट न हो तो दरमियानी रफ़्तार से रस्ते के कनारे कनारे चले, न इतना तेज़ की लोगो की निगाहें आप पर जम जाए और न इतना आहिस्ता की आप बीमार महसूस हो।

★ लफंगों की तरह गरीबान खोल कर अकड़ते हुए हरगिज़ न चले की ये अहमक़ो और मगरुरो की चाल है बल्कि नीची नज़रे किये पुर वक़ार तरीके पर चले। हज़रते अनस رضي الله عنه से मरवी है की जब हुज़ूर صلى الله عليه وسلم चलते तो झुके हुए मालुम होते थे।

★ राह चलने में परेशान नज़री से बचे और सड़क उबूर करते वक़्त गाडियो वाली सम्त देख कर सड़क उबूर करे। अगर गाडी आ रही हो तो बे तहाशा भाग न पड़े बल्कि रुक जाए की इस में हिफाज़त का ज़्यादा इम्कान है।

     ऐ हमारे अल्लाह ! हमे प्यारे हबीब صلى الله عليه وسلم की सुन्नत के मुताबिक़ दर्मियाना, तकब्बुर से बिलकुल पाक चाल चलने की तौफ़ीक़ अता फरमा। और हमे रास्ते के एक तरफ इधर उधर ताके झांके बगैर, सर झुका कर शरीफाना चाल चलने की तौफ़ीक़ मर्हमत फरमा।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 97*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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