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Tuesday 13 March 2018

*सोहबत किस की अपनाई जाए ?* #04
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
*5. दुन्या का हरिस न हो*
     (दुन्या के हरिस की सोहबत से भी बचो कि) ऐसे शख्स की सोहबत ज़हरे कातिल है, क्यूंकि तबिअते फ़ितरी तौर पर एक दूसरे से मुशाहबत रखती और एक दूसरे की पैरवी करती हैं, बल्कि हर तबीअत दूसरे से कुछ न कुछ ज़रूर चुराती है और इन्सान को इस का पता तक नही चलता, दुन्या की हिर्स में मुब्तला शख्स की सोहबत दुन्या की हिर्स पैदा करेगी और ज़ाहिद की सोहबत दुन्या से कनारा कशी पर उभारेगी। इस लिये दुन्या के तालिबो की सोहबत को मकरूह और आख़िरत की तरफ रागिब लोगो की सोहबत को मुस्तहब करार दिया है ।
     खलीफए चहारूम अमीरुल मुअमिनिन हज़रते सय्यिदुना अलिय्यूल मुर्तज़ा كرم الله تعالى وجهه الكريم का इरशाद है : जिस से हया की जाती है उन लोगो की मजालिस इख्तियार कर के नेकियों को ज़िन्दा करो ।
           *ए बीमारे इस्या तू आ जा यहां पर*
           *गुनाहों की देगा दवा मदनी माहोल*

*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 18
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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