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Monday 12 March 2018

*वाक़ीआए मे'राज का एलान* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अल्लाह की क़ुदरते कामिला* #01
     ये अल्लाह की क़ुदरत है कि उसने रात के मुख़्तसर से हिस्से में अपने महबूब को बैतूल मुक़द्दस और फिर सातों आसमानों नीज़ अर्श व कुरसी से भी ऊपर ला मकां की सैर कराई, बाज़ नादान जो हर बात को अक़्ल के तराज़ू पर तोलने के आदी होते है ऐसे मुआमलात में भी अपनी नाक़ीस अक़्ल को दखल देते है, जब कुछ बन नहीं पड़ता तो मन घडत और बातिल ताविलों और हिलों बहानो से ख़ालिक़े काइनात अल्लाह की क़ुदरत के ही इनकारी हो जाते है।
     याद रखिये! अल्लाह हर शै पर क़ादिर है। ये ज़मीनो अस्मान, ये पहाड़ो समन्दर, ये चाँद सूरज, ये फासिले और ये सफर की मन्ज़िले सब कुछ उसी का पैदा किया हुवा है, वो जिसके लिये चाहे फासले समेट दे और जिसके लिये चाहे बढ़ा दे, अक़्ले इसका इहाता करने से क़ासिर है नीज़ उसने अपनी क़ुदरते कामिला से अपने प्यारे अम्बिया व रसूल عليه السلام को ऐसे बहुत से उमुर अता फरमाए है जो आदतन नामुमकिन व मुहाल होते है, ऐसे उमुर को मोजिज़ा कहा जाता है जैसे हज़रते मूसा عليه السلام के मुबारक असा (लाठी) का सांप बन जाना और ईसा عليه السلام का मुर्दो को ज़िन्दा करना और पैदाइशी अंधों को देखने वाला करना वगैरा, और सबसे अफ़्ज़ल नबी व रसूल हुज़ूर अहमदे मुज्तबा, मुहम्मदे मुस्तफा ﷺ को सबसे ज़्यादा मोजिज़ात अता फरमाए। बस हमें उस की क़ुदरत पर पुख्ता ईमान रखना चाहिये।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 42
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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