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Thursday 10 January 2019

_नमाज़ छोड़ने का अन्जाम क़ुरआन की रौशनी में_* #02

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक जगह अल्लाह बेनमज़ियों की मज़म्मत करते हुए फरमा रहा है : तो उनके बाद (अच्छे लोगों के बाद) उनके बुरे लोग जानशीन हुए कि नमाज़ को ज़ाएअ (बर्बाद) कर दिया और ख्वाहिशात के पीछे पड़े तो अनक़रीब वो जहन्नम की वादी "गै" (जो बहुत ही खतरनाक है) में दाखिल किये जाएंगे मगर जिन्होंने तौबा कर ली वो बच जाएंगे।

*✍🏼सूरए मरयम 59, पारह 16*

     ईस आयत में बेनमाज़ियों को हौलनाक सजा की खबर दी गई है कि उन्हें जहन्नम की वादी "गै" में दाखिल किया जाएगा। उलमा फ़रमाते है "गै" अज़ाबे इलाही की एक ऐसी वादी है कि उसके खौफनाक अज़ाब से सारा जहन्नम पनाह मांगता है।

    हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद رضى الله عنه फ़रमाते है कि नमाज़ के ज़ाएअ करने के माना ये नहीं है कि बिल्कुल नमाज़ नहीं पढ़ते बल्कि इसका माना ये है उसे वक़्त से बेवक़्त करके पढ़ते है (यानी क़ज़ा करके पढ़ते है)।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यत* 8

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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