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Wednesday 2 January 2019

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-25, आयत, ②ⓞ②* 

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

ऐसो को उनकी कमाई से भाग है (16) और अल्लाह जल्द हिसाब करने वाला है (17)


*तफ़सीर*

(16) इस आयत से साबित हुआ कि दुआ कोशिश और कर्म में दाख़िल है. हदीस शरीफ़ में है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अक्सर यही दुआ फ़रताते थे “अल्लाहुम्मा आतिना फ़िद दुनिया हसनतौं व फ़िल आख़िरते हसनतौं वक़िना अज़ाबन नार” यानी ऐ रब हमारे हमें दुनिया में भलाई दे और हमें आख़िरत में भलाई दे और हमें दोज़ख़ के अज़ाब से बचा. (सूरए बक़रह, आयत 201)

(17) बहुत जल्द क़यामत क़ायम करके बन्दों का हिसाब फ़रमाएगा तो चाहिये कि बन्दे ज़िक्र व दुआ व फ़रमाँबरदारी में जल्दी करें.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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