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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हजरते सय्यदुना अबू हुरैरा رضی اﷲ تعالٰی عنه से मरवी है कि मुहाजिरीन फुकरा, बारगाहे रिसालत ﷺ में हाजिर हुए और अर्ज किया: या रसूलल्लाह ﷺ मालदार लोग बुलन्द मरातिब और अबदी ने'मतें ले गए।
सरकार ﷺ ने फरमाया : वोह कैसे ? तो उन्हों ने अर्ज की: वोह हमारी तरह नमाज़ पढ़ते हैं और हमारी तरह रोजे भी रखते हैं , वोह सदका करते हैं हम स-दका नहीं कर सकते, वोह गरदने छुड़ाते ( यानी गुलाम आज़ाद करते ) हैं , हम गरदने नहीं छुड़ा सकते। तो सरकारे आली वकार , गरीबों के गुम गुसार ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : “ क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ न सिखा दूं , जिस के जरीए तुम उन लोगों के साथ मिल जाओ जो तुम से आगे हैं और उन पर सब्कत ले जाओ जो तुम से पीछे हैं? और कोई भी तुम से अफ्ज़ल न हो सिवाए उस शख्स के जो तुम्हारी तरह अमल करे। " सहाबए किराम عَلَيْهِمْ الرِّضْوَان ने अर्ज किया : ‘"या रसूलल्लाह ﷺ ज़रूर सिखाइये।
"इर्शाद फ़रमाया : "तुम हर नमाज के बाद 33 , 33 मर्तबा तस्बीह (سُبْحٰنَاﷲ) , तहूमीद (الحمدُلِلّٰه ) और तक्बीर ( اللّٰهُ اكبر) पढ़ा करो।"
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है पेज 7*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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