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Thursday 10 January 2019

*_दुआ की अहमिय्यत_*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     दुआ मांगना बहुत बड़ी सआदत है, क़ुरआन व अहादीस में जगह जगह दुआ मांगने की तरगिब् दिलाई गई है।

     एक हदिष में है : क्या में तुम्हे वो चीज़ न बताऊ जो तुम्हे तुम्हारे दुश्मन से नजात दे और तुम्हारा रिज़्क़ वसीअ कर दे, रात दिन अल्लाह से दुआ मांगते रहो कि दुआ मोमिन का हथियार है।


*_दुआ दाफ़ेए बला है_*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बला उतरती है फिर दुआ उस से जा मिलती है। फिर दोनों क़यामत तक झगड़ा करते रहते है।

*✍🏽अलमुस्तदरक, 2/162*


*_इबादत में दुआ का मक़ाम_*

     हज़रते अबू ज़र गिफारिرضي الله تعالي عنه इरशाद फरमाते है : इबादत में दुआ की वही हेसिय्यत है जो खाने में नमक की।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 182*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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