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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रते सय्यदुना इब्राहीम बिन बश्शार رضی اﷲ تعالٰی عنه फ़रमाते हैं : मैं हज़रते सय्यदुना इब्राहीम बिन अदहम رضی اﷲ تعالٰی عنه के हमराह सफ़र पर था और हम दोनों रोजे से थे , मगर हमारे पास इफ्तार के लिये कुछ न था और न ही कोई ऐसे ज़ाहिरी अस्बाब नज़र आ रहे थे कि जिन से इफ्तारी का इन्तिज़ाम किया जा सके।
मेरी इस फ़िक्र को देख कर हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम बिन अदहम رضی اﷲ تعالٰی عنه ने इर्शाद फ़रमाया : " ऐ इब्ने बश्शार رضی اﷲ تعالٰی عنه ! अल्लाह ने गरीबों और मिस्कीनों को दुन्या व आखिरत में किस कदर ने 'मतों और राहतों से सरफ़राज़ फ़रमाया है बरोजे कियामत न इन से ज़कात के बारे में पूछा जाएगा और न हज व स - दका और सिलए रेहमी व हुस्ने सुलूक के बारे में हिसाबो किताब होगा , जब कि मालदारों से इन सब चीजों के बारे में सुवाल होगा।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है पेज 5*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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