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Tuesday 6 March 2018

*वाकिआए में'राज* #13
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*सिद्रतुल मुन्तहा*
     सातवे आस्मान पर हज़रते इब्राहिम عليه السلام से मुलाक़ात के बाद आप ﷺ सिद्रतुल मुन्तहा के पास तशरीफ़ लाए। ये एक नूरानी बैरी का दरख्त है, जिस की जड़ छटे आस्मान पर और शाखे सातवे आस्मान के ऊपर है, इसके फल मक़ामे हजर के मटकों की तरह बड़े बड़े और पत्ते हाथी के कानों की तरह है। आप ﷺ न्र यहाँ चार नहरें मुलाहज़ा फ़रमाई जो सिद्रतुल मुन्तहा की जड़ से निकलती थी, इनमे से दो तो ज़ाहिर थी और दो खुफ्या। आप ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये नहरें केसी है? अर्ज़ किया खुफ्या नहरें तो जन्नत की है और ज़ाहिरी नहरे निल और फुरात है।

*मक़ामे मुस्तवा*
     फिर आप ﷺ आगे बढ़े तो जिब्राइल वही ठहर गए और आगे जाने से माज़िरत ख्वाह हुवे। फिर आप ﷺ आगे बढ़े और बुलन्दी की तरफ सफर फ़रमाते हुवे एक मक़ाम पर तशरीफ़ लाए जिसे मुस्तवा कहा जाता है, यहाँ आप ने क़लमों की चर चराहट समाअत फ़रमाई। ये वो क़लम थे जिन से फ़रिश्ते रोज़ाना के अहकामे इलाहिय्या लिखते है और लोहे महफूज़ से एक साल के वाकिआत अलग अलग सहिफ़ो में नक़्ल करते है और फिर ये सहिफे शाबान की 15वी शब् मुताल्लुक़ हुक्काम फरिश्तों के हवाले कर दिये जाते है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 35
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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