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Tuesday 6 March 2018

*बुरे लोगो की हम नाशिनी*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! होना तो येह चाहिये की हम अपनी दुन्या व आख़िरत की भलाई के लिये अच्छे माहोल से वाबस्ता हो और नेक लोगो की सोहबत में रहे, उन्ही को अपना दोस्त बनाए मगर अफ़्सोस ! गुनाहों की महब्बत ने हमारे बातिन को सियाह कर दिया है। आज हमारा हाल येह है कि अच्छे लोगो से दूर भागते और उन से बुग्ज़ रखते है और उन को छोड़ कर ऐसे लोगो की हम नाशिनी इख्तियार करते है जो हमें न सिर्फ नेकियों से दूर रखते बल्कि बा'ज़ अवकात गुनाहों की दलदल में धकेल देते है। ऐसे अफ़राद की सोहबत और इन की दोस्ती से बचना बेहद ज़रूरी है ।
     अल्लाह तआला के मुख्लिस बन्दों और आशिकाने रसूल की सोहबत अगर नसीब हो जाए तो ऐन सआदत है, उन के कुर्ब और उन की तरफ से वक्तन फ़ वक्तन मिलने वाली नेकी की दा'वत की बरकत से दीगर फवाइद के साथ साथ ان شاء الله गुनाहों का इलाज भी होता रहेगा। येह याद रहे कि सिर्फ व सिर्फ अच्छी सोहबत इख्तियार करनी चाहिये जब कि बुरे लोगो के साए से भी भागना चाहिये। मक्की मदनी सुल्तान, रहमते आलमियान ﷺ का फरमाने आलीशान है : अच्छे और बुरे मुसाहिब की मिसाल, मुश्क (या'नि कशतुरी) उठाने वाले और भट्टी धौकने वाले कि तरह है, कस्तूरी उठाने वाला तुम्हे तोहफा देगा या तुम उस से खरीदोगे या तुम्हें उस से उम्दा खुशबू आएगी, जब कि भट्टी धौकने वाला या तो तुम्हारे कपड़े जलाएगा या तुम्हे उस से ना गवार बु आएगी ।
*✍(صحيح مسلم ص ١٤١٤ حديث ٢٦٢٨)*
     (या'नि अच्छे शख्स की सोहबत अत्तार (या'नि इत्र फरोश) की दुकान की तरह है कि जहां से आदमी कुछ न भी खरीदे मगर उसे खुशबू तो आहि जाती है और बुरे सख्स की सोहबत लोहार की दुकान की मिस्ल है, जहां अपने कपड़ों को जितना भी समेट कर रखें, चिंगारिया उस तक पहुच ही जाती है)

*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 10-11
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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