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Tuesday 25 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #259


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*हज़रत दाऊद عليه السلام के जानशीन हज़रत सुलेमान عليه السلام*

     सुलेमान عليه السلام दाऊद عليه السلام की बादशाहत और खिलाफत के जानशीन बने। माल व दौलत की विरासत यहां मुराद नहीं बल्कि नबीए करीम ﷺ के इरशाद के मुताबिक़ अम्बियाए किराम के माल व दौलत का किसी को वारिस नहीं बनाया जाता है।

     अबू दाऊद और तिर्मिज़ी ने हज़रते अबू दरदा رضي الله عنه से रिवायत किया कि हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते है की बेशक उलमा अम्बियाए किराम के वारिस होते है और बेशक अम्बियाए किराम के वुरसा दराहिम व दनानीर के वारिस नहीं होते बल्कि उनके इल्म के वारिस होते है। जिसने इस इल्म को हासिल कर लिया उसने अज़ीम हिस्सा हासिल कर लिया।

     दाऊद عليه السلام के 16 बेटों में से सबसे छोटे सुलेमान عليه السلام थे अगर यहां विरासत माल की मुराद होती तो सब बेटे वारिस होते। सिर्फ सुलेमान عليه السلام न होते, नीज़ बादशाहत और नबुव्वत में भी विरासत लाज़िमी तौर पर जारी नही सिर्फ अल्लाह के फ़ज़्ल से हासिल होती है इसलिये वारिस का जानशीन मायने करना बहुत कामिल और हसीन है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 217

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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