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Friday 21 September 2018

लोगों की चार अक़्साम*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते अबू अली رحمة الله عليه फरमाते है की मक़ामे फना (यानी वो मर्तबा जिस तक बन्दा ब ज़रियाए इबादत दर्जा ब दर्जा तरक्की हासिल करता है, उस) मे लोगों की चार अक़्साम है।

     पहला वो शख्स जिस के दिल पर अल्लाह की अज़मत और मुहब्बत गालिब आ गई और वो अल्लाह के ज़िक्र में मशगूल हो कर दूसरों से गाफिल हो गया। अल्लाह में इरशाद फ़रमाया: 

वो मर्द जिन्हें गाफिल नहीं करता कोई सौदा और न खरीदो फरोख्त अल्लाह की याद से।

*ث ١٨ النور، ٣٧*

     दूसरा वो शख़्स जिसने अल्लाह से सच्ची इबादत, इज़हारे बंदगी, खालिस परहेज़गारी और वफादारी का वादा किया है, अल्लाह फरमाता है:

कुछ वो मर्द है जिन्हों ने सच्चा कर दिया जो अहद अल्लाह से किया था।

*ث ۲۱، الاحزاب، ٢٣*

     तीसरा वो शख्स जिसका कलाम अल्लाह के लिये हो, वो नेकी की दावत दे, बुराई की तमाम अक़्साम से खुद भी बचे और दूसरों को भी मना कर। अल्लाह फरमाता है:

और शहर के परले किनारे से एक मर्द दौड़ता आया।

*ث ۲۲، سورةليں، ۲۰*

     चौथा वो शख्स जिसका बातिन  उसकी ज़ात के बारे में और उस प्रमुक़र्रर मुवक्कल फरिश्तों ले बारे में गुफ्तगू करे और उस के राज़ को उस के मौला के इलावा कोई न जानता हो। अल्लाह फरमाता है:

अल्लाह ने उतारी सब से अच्छी किताब कि अव्वल से आखिर तक एक सी है दौहरे बयान वाली इस से बाल खड़े होते है उन के बदन पर जो अपने रब से डरते है फिर उन की खाले और दिल नर्म पड़ते है यादे खुदा की तरफ रग़बत में।

*ث ۲۳، *

*✍️आंसुओं का दरिया* 135

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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