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Tuesday 18 September 2018

सवानहे कर्बला​* #50


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शहादत के बाद के वाक़ीआत_*​​​ #02


*_यज़ीद का अंजाम_*

     वाकिया ए कर्बला के कुछ ही दिनों बाद यज़ीद एक हलाकत ख़ेज़ और इन्तिहाई मुजी मरज़ में मुब्तला हुवा, पेट के दर्द और आतो के ज़ख्मो की तकलीफ से जिस तरह मछली पानी के बगैर तड़पती है उस तरह तड़पता रहता था, हिम्स में जब उसे अपनी मोत का यक़ीन हो गया तो अपने बड़े लड़के मुआविय्या को बिस्तरे मर्ग पर बुलाया और उमुरे सल्तनत के बारे में कुछ कहना ही चाहता था की बे साख्ता बेटे के मुह से चीख निकली और निहायत ज़िल्लतो हक़ारत के साथ ये कहते हुवे बाप की पेशकश को ठुकरा दिया की जिस ताजो तख्त पर आले रसूल के खून के धब्बे है, में उसे हरगिज़ क़बूल नही कर सकता, खुदा इस मनहूस सल्तनत की विरासत से मुझे महरूम रखे, जिस की बुनयादी नवासए रसूल के खून पर रखी गई है।

     यज़ीद अपने बेटे के मुह से ये अलफ़ाज़ सुन कर तड़प गया और शिद्दते रंजो अलम से बिस्तर पर पाउ पटखने लगा, मौत के कुछ दीन पहले यज़ीद की आंते सड गई और उस में कीड़े पड़ गए, तकलीफ की शिद्दत से खिन्ज़िर की तरह चीखता था, पानी का क़तरा हलक के निचे उतरने के बाद निश्तर की तरह चुभने लगता था, अज़ीब क़हरे इलाही की मार थी, पानी के बगैर भी तड़पता था और पानी पा कर भी चीखता था, बिल आखिर इसी दर्द की शिद्दत से तड़प तड़प कर उसकी जान निकली, लाश में ऐसी हौलनाक बदबू थी की क़रीब जाना मुश्किल था, जेसे तैसे उसको ख़ाक के सुपुर्द किया गया।

*✍🏽तारीखे कर्बला, 345*


*_यज़ीद की क़ब्र का हाल_*

     दमिश्क के पुराने क़ब्रस्तान बाबुस्सगिर के कुछ आगे यज़ीद की क़ब्र का निशान था, जिस पर आज से की सालो पहले लोग ईटे पथ्थर मारते थे और अक्सर इटो का ढेर लगा रहता था, वहा अब शीशा और लोहा गलाने की भट्टी लगी हुई है, उस कारखाने में शीशे के बर्तन बनाए जाते है, उस लोहे और काच को गलाने की आग वाली भट्टी ठीक उसी जगह है जहा यज़ीद की क़ब्र थी। गोया यज़ीद की क़ब्र पर हर वक़्त आग जलती रहती है।

*✍🏽शहादते नवासए सय्यिदुल अबरार, 918*

*✍🏽यज़ीद का दर्दनाक अंजाम, 113*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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