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Sunday 2 September 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #236


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*अय्यूब عليه السلام की आज़माइश की घड़ियां* #02


*मुश्किल का साथी*

     हज़रत अय्यूब عليه السلام की बीमारी ने जब शिद्दत इख्तियार कर लक तो तमाम अक़रबा ने आपको छोड़ दिया। बल्कि शहर से बाहर आपको एक झोंपड़ी बनाकर दे दी गई कि ये मर्ज़ कहीं दुसरो तक न पहुंच जाये।

     जब वो सारे साथ छोड़ गये तो उस वक़्त आपकी ज़ौजा जिसका नाम रहमत बिन्ते अफराइम बिन युसूफ था वो ब दस्तूर आपके साथ रहीं। आपकी खिदमत गुज़ारी में रही। आपकी देखभाल करती, आपको खाना  फ़राहम करती, आपकी ज़रूरियात का हर तरह ख्याल करती। سبحان الله युसूफ عليه السلام की पोती कितनी नेक और साबरा थी।


*अय्यूब عليه السلام का बेमिसाल सब्र*

     एक दिन आपकी ख़िदमतगुज़ार, वफादार, नेक शआर, बा मुराद नेक ज़ौजा ने अर्ज़ किया काश तुम अल्लाह से दुआ करते अल्लाह तुम्हारी तकालिफ़ दूर फरमा देता। 

     ये सुनकर आप ने फरमाया: ऐश व इशरत, राहत व सकून, माल व दौलत की फरावानी में कितना वक़्त गुज़रा? आपकी ज़ौजा ने कहा बहुत वक़्त गुज़रा, एक रिवायत में है कि आपकी ज़ौजा ने कहा 80 साल गुज़रे है। तो आप عليه السلام ने फरमाया : मुझे अल्लाह से शर्म आती है कि में उससे दुआ करूँ जब कि मेरी आज़माइश का वक़्त इतना भी नही हुआ जितना मेरी आसाइश का वक़्त था।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 190

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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