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Saturday 1 September 2018

नमाज़ का तरीक़ा* #24


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*नमाज़ के 7 फराइज़* #04

*_3 किराअत_* #01

     किराअत इस का नाम है की तमाम हरुफ़ मखारिज से अदा किये जाए की हर हर्फ़ गैर से सहीह तौर पर मुमताज़ हो जाए। 

     आहिस्ता पढ़ने में भी ये ज़रूरी है की खुद सुन ले।

     अगर हरुफ़ तो सहीह अदा किये मगर इतने आहिस्ता की खुद न सुना और कोई रुकावट मसलन शोरो गुल या उचा सुनने का मरज़ भी नही तो नमाज़ न हुइ। 

     अगर्चे खुद सुनना ज़रूरी है मगर ये भी एहतियात रहे की आहिस्ता किराअत वाली नमाज़ों में किराअत की आवाज़ दुसरो तक न पहुचे, इसी तरह तस्बिहात वग़ैरा में भी ख्याल रखिये। 

     नमाज़ के इलावा भी जहा कुछ कहना या पढ़ना मुक़र्रर किया है इस से भी ये मुराद है की कम अज़ कम इतनी आवाज़ हो की खुद सुन सके मसलन तलाक़ देने, जानवर ज़बह करने के लिये अल्लाह का नाम लेने में इतनी आवाज़ ज़रूरी है की खुद सुन सके।

★ दुरुद शरीफ वग़ैरा अवराद पढ़ते हुए भी कम अज़ कम इतनी आवाज़ होनी चाहिये की खुद सुन सके जभी पढ़ना कहलाएगा। 

     मुतलक़न एक आयत पढ़ना फ़र्ज़ की दो रकअतो में और वित्र्, सुन्नत और नवाफ़िल की हर रकअत में इमाम व मुनफरीद (तन्हा नमाज़ पढ़ने वाला) पर फ़र्ज़ है। 


बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 164*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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