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Friday 7 September 2018

सवानहे कर्बला​* #28


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शहादत के वाक़ीआत_* 


*10 मुहर्रम के दिलदोज वाक़ीआत* #06

     ये नौजवान अपनी नेकी बीवी और बरगुज़ीदा माँ को ले कर फरज़न्दे रसूल की खिदमत में हाज़िर हुवा। दुल्हन ने अर्ज़ किया : या इब्ने रसूल ! शुहदा घोड़े से ज़मीन पर गिरते ही हूरो की गोद में पहुचते है और बहिश्त हसीन कमाले इताअत के साथ उन की खिदमत करते है, मेरा ये नौजवान शोहर हुज़ूर पर जां निषारि की तमन्ना रखता है और में निहायत बेकस हु, न मेरी माँ है न बाप है न कोई भाई जो मेरी कुछ खबरगिरी कर सके। इल्तिजा ये है की अरसागाहे मेहशर में मेरे इस शोहर से जुदाई न हो और दुन्या में मुझ गरीब को आप के अहले बैत अपनी कनीज़ो में रखे और मेरी उम्र का आखरी हिस्सा आप को पाक बीवियों की खिदमत में गुज़र जाए।

      हज़रते इमाम के सामने ये तमाम अहद हो गए और वहब ने अर्ज़ कर दिया की ऐ इमाम अगर हुज़ूर की शफ़ाअत से मुझे जन्नत मिली तो में अर्ज़ करूँगा की ये बीवी मेरे साथ रहे। वहब इजाज़त चाह कर मैदान में चल दिया। लश्कर ने देखा की घोड़े पर एक माहरु सुवार है और हाथ में नज़ा है।

     दुश्मनो की स्फो से मुबारीज़ तलब किया जो सामने आया तलवार से उस का सर उड़ाया, गिर्दो पेश खुद सरो के सरो का अम्बार लगा दिया और नाकिसो के तन खून व खाक में तड़पते नज़र आने लगे, एक बार फिर वो माँ की पास आ कर अर्ज़ किया की : ऐ माँ तू मुझसे राज़ी हुई और बीवी की तरफ जा कर उसके सर पर हाथ रखा जो बेक़रार रो रही थी और उस को सब्र दिलाया।

     इतने में दुश्मनो की तरफ से आवाज़ आई की कोई मुबारीज़ है ? वहब घोड़े पर सुवार हो कर मैदान की तरफ रवाना हुवा।


बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله

*✍🏽सवानहे कर्बला, 145*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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