Pages

Friday 7 September 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-8, आयत, ⑥⑥*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

तो हमने (उस बस्ती का) ये वाक़िया (घटना) उसके आगे और पीछे वालों के लिये इबरत कर दिया और परहेज़गारों के लिये नसीहत.


*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-8, आयत, ⑥⑦*

     और जब मूसा ने अपनी कौम से फ़रमाया खुदा तुम्हें हुक्म देता है कि एक गाय ज़िब्ह करो(7) बोले की आप हमें मसख़रा बनाते हैं (8) फ़रमाया ख़ुदा की पनाह कि मैं जाहिलों से हूं(9)


*तफ़सीर*

     (7) बनी इस्राइल में आमील नाम का एक मालदार था. उसके चचाज़ाद भाई ने विरासत के लालच में उसको क़त्ल करके दूसरी बस्ती के दर्वाजे़ पर डाल दिया और ख़ुद सुबह को उसके ख़ून का दावेदार बना. वहां के लोगों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से विनती की कि आप दुआ फ़रमाएं कि अल्लाह तआला सारी हक़ीक़त खोल दे. इस पर हुक्म हुआ कि एक गाय ज़िब्ह करके उसका कोई हिस्सा मक़तूल (मृतक) को मारें, वह ज़िन्दा होकर क़ातिल का पता देगा.

     (8) क्योंकि मक़तूल (मृतक) का हाल मालूम होने और गाय के ज़िब्ह में कोई मुनासिबत (तअल्लुक़) मालूम नहीं होती.

     (9) ऐसा जवाब जो सवाल से सम्बन्ध न रखे जाहिलो का काम है. या ये मानी हैं कि मुहाकिमे (न्याय) के मौक़े पर मज़ाक उड़ाना या हंसी करना जाहिलों का काम है. और नबियों की शान उससे ऊपर है. बनी इस्राइल ने समझ लिया कि गाय का ज़िब्ह करना अनिवार्य है तो उन्होंने अपने नबी से उसकी विशेषताएं और निशानियाँ पूछीं. हदीस शरीफ़ में है कि अगर बनी इस्राइल यह बहस न निकालते तो जो गाय ज़िब्ह कर देते, काफ़ी हो जाती.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment