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Monday 27 March 2017

*मदनी फूल​*
*​بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ​*
*​اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ​*

*​​खजूर के मदनी फूल*​​ #03
     खजूर और खीरा या ककड़ी, नीज़ खजूर और तरबूज़ एक साथ खाना सुन्नत है। इसमें भी हिकमतो के मदनी फूल है। हमारे अमल के लिये तो इस का सुन्नत होना ही काफी है। अतिब्बा का कहना है की इससे जिन्सी व जिस्मानी कमज़ोरी और दुबला पन दुर होता है।
     हदिष में है की हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया, मख्खन को खजूर के सथमिल कर खाओ और पुरानी के साथ नई खजुरे मिला कर खाओ क्यू की शैतान किसी को ऐसा करता देखता है तो अफ़सोस करता है और कहता है की पुरानी के साथ नई खजूर खा कर आदमी मज़बूत हो गया।
*✍🏽सुनन इब्ने माजह, 4/39, हदिष:333*

     खजूर खाने से पुरानी क़ब्ज़ दूर होती है।
 
     दमा, दिल, गुर्दा, मसाना, पित्ता और आंतो के अमराज़ में खजूर मुफीद है। ये बलगम खारिज करती, मुह की खुश्की को दूर करती, क़ुव्वते बाह बढ़ाती और पेशाब आवर है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 357*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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