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Saturday 4 March 2017

*नींद या बेदारी*  #1
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
          
       हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया: जो आदमी बेदारी के बजाए नींद को इख्तियार करता है, वो निहायत नाकिस और अदना चीज़को पसन्द कर रहा है। और चूंके नींद मौत की बहेन है इस लिये गोया वो शख्स अपनी ज़ुरुरतों और मसलेहतों में मौत और गफलत का ख्वाहिशमंद है। इसी लिये ख़ुदातआला नींदसे मावरा है क्योंके वो तमाम नकाइससे पाक है। 
      मलाएकाभी कुर्बे खुदावन्दी के बाइस नींदसे दूर है। यही हाल जन्नतके बासियों का है। चूंके वो जन्नत के ऐसे आला मकाम के रेहनेवाले है। और उनके नफूस पाकीज़ा है, इसलिये उन पर भी नींद ग़ालिब नहीं आती। 
     नींद हर हालतमें नुकसानदेह है।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 112
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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