Pages

Thursday 23 March 2017

*जमाअत छोड़ने की सजा* #04/08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूर ﷺ फरमाते है : अगर नमाज़े बा जमाअत से पीछे रह जाने वाला ये जानता की इस रह जाने वाले के लीये क्या है ? तो घिसटते हुवे हाज़िर होता।

     हुज़ूर ﷺ फरमाते है : किसी गाऊं, शहर या जंगल में 3 शख्स हो और बा जमाअत नमाज़ काइम न की गई मगर उन पर शैतान मुसल्लत हो गया। तो जमाअत को लाज़िम जानो की भेड़िया उस बकरी को खाता है जो रेवड़ से दूर हो।
     शारेहे बुखारी हज़रते अल्लामा बदरुद्दीन एनी हनफ़ी फरमाते है : इस हदिष की मुराद ये है की तारीके जमाअत पर शैतान ग़ालिब आ जाता है और उस पर अपना कब्ज़ा जमा लेता है, जैसे भेड़िया रेवड़ से अलग होने वाली बकरी पर काबिज़ हो जाता है।  और हदिष में 3 का ज़िक्र इस लिए है की जमआत कम से कम 3 पर बोली जाती है और 3 शख्सों के ज़रिए ही जुमुआ काइम हो सकता है, नीज़ इस हदिष से ये बात समझ आती है की अगर दो शख्स किसी जगह में हो और वो जुदा जुदा नमाज़ पढ़े तो गुनाहगार नहीं होंगे।
*✍🏽तर्के जमाअत की वईद, स. 7*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment