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Sunday 11 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #02
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_शबे क़द्र बदलती रहती है_*
     इमामे मालिक رضي الله تعالي عنه के नज़दीज शबे क़द्र रमज़ानुल मुबारक के आखरी अशरे की ताक रातो में होती है। मगर इसके लिये कोई एक रात मख़्सूस नही, हर साल इन ताक रातो में घूमती रहती है, यानी कभी 21, 23, 25, 27 तो कभी 29 वी शब भी शबे क़द्र हो जाया करती है।
*✍🏼तफ़सीरे सावी 6/2300*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1161*

     इसी वजह से अल्हम्दु लिल्लाह हमारे शहर पादरा शरीफ में कई सालो सो इसी आखरी अशरे की ताक रातो में शबीना तरावीह का इंतज़ाम किया जाता है। ताकी शबे क़द्र चाहे किसी भी रात हो उस रात शबे क़द्र की इबादत का सवाब मिल जाये।

     आप भी अपने शहरों में इस तरह का इंतज़ाम करवाइये और शबे क़द्र पाने के हक़दार बन जाइये।

*शबे क़द्र की रात इबादत करने वाले को 1000 माह यानी 83 साल 4 माह से भी ज़्यादा इबादत का सवाब अता किया जाता है*
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