Pages

Wednesday 28 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बन्दों के हुक़ूक़ और फरामीने मुस्तफा_*
★ मुसलमान की सब चीज़े मुसलमान पर हराम है, उस का माल और उस की आबरू और उस का खून। आदमी को बुराई से इतना ही काफी है की वो अपने मुसलमान भाई को हक़ीर जाने।
*✍🏼अबू दाऊद, 4/354, हदिष:4882*

★ जिस के जिम्मे अपने भाई का आबरू वगैरा किसी बात का ज़ुल्म हो, उसे लाज़िम है की क़यामत का दिन आने से पहले यही दुन्या में उस से मुआफ़ी मांग ले, क्यू की वहा न दिनार होंगे न दिर्हाम, अगर इस के पास कुछ नेकियां होंगी, तो ब क़दर उस के हक़ के, इस से ले कर उसे दी जाएगी, वरना उस (मलज़ुम) के गुनाह इस (ज़ालिम) पर रखे जाएंगे।
*✍🏼बुखारी, 2/128, हदिष:2448*

★ दफ्तर (रजिस्टर) तीन है, एक दफ्तर में अल्लाह कुछ न बख्शेगा और एक दफ्तर की अल्लाह को कुछ परवा नही और एक दफ्तर में अल्लाह कुछ न चोड़ेंगा, वो दफ्तर जिस में बिलकुल मुआफ़ी की जगह नही, वो तो कुफ़्र है की किसी तरह न बख्शा जाएगा और एओ दफ्तर जिस की अल्लाह को कुछ परवा नही, वो बन्दे का गुनाह है, खालिस अपने और अपने रब के मुआमले में (की किसी दिन का रोज़ा तर्क किया या कोई नमाज़ छोड़ दी, अल्लाह चाहे तो उसे मुआफ़ कर दे और दर गुज़र फरमाए) और वो दफ्तर जिस में से अल्लाह कुछ न छोड़ेगा वो बन्दों का आपस में एक दूसरे पर ज़ुल्म है की इस में ज़रूर बदला होना है।
*✍🏼मुस्तदरक, 5/794, हदिष:8757*

★ तुम लोग हुक़ूक़, हक़ वालो के सुपुर्द कर दोगे, हत्ता की बे सिंग वाली का सिंग वाली बकरी से बदला लिया जाएगा।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 1384, हदिष:2582*
(यानी अगर तुम दुन्या में लोगो के हुक़ूक़ अदा न किये तो हर सूरत में क़यामत में अदा करोगे, यहाँ दुन्या में माल से और आख़िरत में आमाल से, लिहाज़ा बेहतरी इसी में है की दुन्या ही में अदा कर दो, वरना पछताना पड़ेगा। "मीरआत शर्हे मिश्कात" में है : जानवर अगर्चे शरई अहकाम के मुकल्ल्फ़ नही है, मगर हुक़ुक़ुल इबाद जानवरो को भी अदा करने होंगे।
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 11*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment