*खुशबु लगाने की सुन्नते ओर आदाब* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_कौन कैसी खुशबु इस्तिमाल करे ?_*
हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : मर्दाना खुशबु वो है की उस की खुशबु तो ज़ाहिर हो मगर रंग ज़ाहिर न हो और ज़नाना खुशबु वो है की उसका रंग तो ज़ाहिर हो मगर खुशबु ज़ाहिर न हो।
मर्दों को अपने लिबास पर ऐसी खुशबु इस्तिमाल करनी चाहिये जिस की खुशबु फेले मगर रंग के धब्बे वगैरा नज़र न आए।
औरत के लिये महक की मुमनअत इस सूरत में है जब की वो खुशबु अजनबी मर्दों तक पहुचे, अगर वो घर में इत्र लगाए जिस की खुशबु खाविन्द या औलाद या माँ बाप तक ही पहुचे तो हरज नही।
मालुम हुआ की इस्लामी बहनो को ऐसी खुशबु नही लगानी चाहिये जिस की खुशबु उड़ कर गैर मर्दों तक पहुच जाए। चुनान्चे हज़रते अबू मूसा अशअरी رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : औरत जब खुशबु लगा कर किसी मजलिस के पास से गुज़रती है तो वो ऐसी और ऐसी है यानी ज़ानीया है।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 85*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*_कौन कैसी खुशबु इस्तिमाल करे ?_*
हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : मर्दाना खुशबु वो है की उस की खुशबु तो ज़ाहिर हो मगर रंग ज़ाहिर न हो और ज़नाना खुशबु वो है की उसका रंग तो ज़ाहिर हो मगर खुशबु ज़ाहिर न हो।
मर्दों को अपने लिबास पर ऐसी खुशबु इस्तिमाल करनी चाहिये जिस की खुशबु फेले मगर रंग के धब्बे वगैरा नज़र न आए।
औरत के लिये महक की मुमनअत इस सूरत में है जब की वो खुशबु अजनबी मर्दों तक पहुचे, अगर वो घर में इत्र लगाए जिस की खुशबु खाविन्द या औलाद या माँ बाप तक ही पहुचे तो हरज नही।
मालुम हुआ की इस्लामी बहनो को ऐसी खुशबु नही लगानी चाहिये जिस की खुशबु उड़ कर गैर मर्दों तक पहुच जाए। चुनान्चे हज़रते अबू मूसा अशअरी رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : औरत जब खुशबु लगा कर किसी मजलिस के पास से गुज़रती है तो वो ऐसी और ऐसी है यानी ज़ानीया है।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 85*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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