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Monday 12 June 2017

*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_एतिकाफ की किस्मे_*
     एतिकाफ की तीन किस्मे है (1) ऐतिकाफे वाजिब, (2) ऐतिकाफे सुन्नत, (3) ऐतिकाफे नफ्ल।

*_ऐतिकाफे वाजिब_*
     एतिकाफ की नज़र (यानी मन्नत) मानी यानी ज़बान से कहा "में अल्लाह के लिये फुला दिन या इतने दिन एतिकाफ करूँगा"। तो अब जितने भी दिन का कहा है उतने दिन का एतिकाफ करना वाजिब हो गया।
     ये बात खास कर याद रखिये की जब कभी किसी भी किस्म की मन्नत मानी जाए जस में ये शर्त है की मन्नत के अल्फ़ाज़ ज़बान से अदा किये जाए सिर्फ दिल ही दिल में मन्नत की निय्यत कर लेने से मन्नत सहीह नही होती।
*✍🏼रद्दुल मुहतार, 3/430*

     मन्नत का एतिकाफ मर्द मस्जिद में करे और औरत मस्जिदे बैत में। इन में रोज़ा भी शर्त है। (औरत घर में जो जगह नमाज़ के लिये मखसुस कर ले उसे _मस्जिदे बैत_ कहते है)

*_ऐतिकाफे सुन्नत_*
     रमज़ान के आखरी 10 दिन का एतिकाफ "सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया" है
*✍🏼दुर्रे मुख्तार मअ रद्दुल मुहतार, 3/430*
     यानी पुरे शहर में किसी एक ने कर लिया तो सब की तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी मुजरिम हुए।
*✍🏼बहारे शरीअत, 5/152*
     इस एतिकाफ में ये ज़रूरी है की रमज़ान की बीसवी तारीख को गुरुबे आफताब से पहले पहले मस्जिद के अंदर ब निय्यते एतिकाफ मौजूद हो और उनतीस के चाँद के बाद या तिस के गुरुबे आफताब के बाद मस्जिद से बहार निकले।
*✍🏼बहारे शरीअत, 5/151*

     अगर 20 रमज़ान को गुरुबे आफताब के बाद मस्जिद में दाखिल हुए तो एतिकाफ की सुन्नते मुअककदा अदा न हुई बल्कि सूरज डूबने से पहले पहले मस्जिद में तो दाखिल हो चूके थे मगर निय्यत करना भूल गए थे यानी दिल में निय्यत ही नही थी (निय्यत दिल के इरादे को कहते है) तो इस सुरतमे भी एतिकाफ की सुन्नते मुअककदा अदा न हुई। अगर गुरुबे आफताब के बाद निय्यत की तो नफ्लि एतिकाफ हो गया।
     दिल में निय्यत कर लेना ही काफी है ज़बान से कहना शर्त नही। अलबत्ता दिल में निय्यत हाज़िर होना ज़रूरी है साथ ही ज़बान से भी कह लेना ज़्यादा बेहतर है।

*_एतिकाफ की निय्यत इस तरह कीजिये_*
     में अल्लाह की रिज़ा के लिये रमज़ान के आखरी 10 दिन का सुन्नते एतिकाफ की निय्यत करता हु।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 343*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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