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Saturday 10 June 2017

*बरकाते ज़कात* #17

*_ज़कात की अदाएगी की हिकमते_* #01
     सखावत इंसान का कमाल है और बुख्ल ऐब है। इस्लाम ने ज़कात की अदाएगी जैसा प्यारा अमल मुसलमानो को अता फ़रमाया ताकि इंसान में सखावत जैसा कमाल पैदा हो और बुख्ल जैसा बद तरीन ऐब उसकी ज़ात से खत्म हो।
     जैसे एक मुल्की निज़ाम होता है कि हमारी कमाई में हुकूमत का भी हिस्सा होता है, जिसे वो टेक्स के तौर पर वसूल करती है और फिर वोही टेक्स हमारे ही मफाद में यानी मुल्की इन्तिज़ाम पर खर्च होता है, बिला तशबीह हमे मालो दौलत और दीगर तमाम नेमतों से नवाजने वाली हमारे रब की ही प्यारी जाते पाक है और ज़कात अल्लाह का हक़ है, जो हमारे ही गुरबा पर खर्च किया जाता है।

     रब चाहता तो सब को मालो दौलत अता फ़रमा कर गनी कर देता, लेकिन उसकी मशिय्यत है कि उसने अपने बन्दों में बाज़ो को आमिर और दौलत मन्द किया और बाज़ो को गरीब रखा और अमीरो यानी साहिबे निसाब पर ज़कात की अदाएगी लाज़िम कर दी ताकि इससे अमीरो और गरीबो में प्यार, महब्बत और बाहमी इमदाद का जज़्बा पैदा हो और अल्लाह की नेमत को सब मिल बाट कर खाए और उस का शुक्र अदा करे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.19*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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