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Wednesday 21 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*मज़लूम और दुख्यारे फाइदे में !*
     बन्दों की हक़ तलफी आख़िरत के लिये बहुत ज़्यादा नुक़्सान देह है। हज़रते शैख़ अबू तालिब मुहम्मद बिन अली मक्की رحمة الله عليه "क़ुतुल कुलूब" में फ़रमाते है : ज़्यादा तर (अपने नही बल्कि) दुसरो के गुनाह ही दोज़ख में दाखिले का बाइस होंगे जो (हुक़ुक़ुल इबादत तलफ करने के सबब) इंसान पर डाल दिये जाएंगे। नीज़ बे शुमार अफ़राद (अपनी नेकियों के सबब नही बल्कि) दुसरो की नेकियां हासिल कर के जन्नत में दाखिल हो जाएंगे।
*✍🏼क़ुतुल कुलूब, 2/253*

     ज़ाहिर है, दुसरो की नेकियां हासिल करने वाले वही होंगे, जिन की दुन्या में दिल आज़ारियां और हक़ तलफियां हुई होंगी, यूं बरोज़े क़यामत मज़लूम और दुख्यारे लोग फाइदे में रहेंगे।
*✍🏼ज़ुल्म का अन्जाम, 17*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 7*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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