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Tuesday 13 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

     अल्लाह क़ुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है :
_बेशक हमने इसे शबे क़द्र में उतरा और तुम ने क्या जाना, क्या है शबे क़द्र ? शबे क़द्र हज़ार महीनो से बेहतर है, इस में फ़रिश्ते और जिब्राइल अलैहिस्सलाम उतरते है अपने रब के हुक्म से, हर काम के लिये, वो सलामती है सुबह चमकने तक।_
*पारह 30, सूरतुल क़द्र*

     शबे क़द्र कीस क़दर अहम रात है के इस की शान में अल्लाह ने पूरी एक सूरत नाज़िल फ़रमाई। इसी सूरए मुबारका में अल्लाह ने इस मुबारक रात की कई खुसुसिय्यत इरशाद फ़रमाई है।
     मुफ़स्सिरीने किराम इसी सूरए क़द्र के ज़िम्न में फरमाते है, इस रात में अल्लाह ने क़ुरआने मजीद को लौहे महफूज़ से आसमाने दुन्या पर नाज़िल फ़रमाया और फिर तकरीबन 23 बरस की मुद्दत में अपने प्यारे हबीब ﷺ पर इसे ब तदबीर नाज़िल किया।
*✍🏼तफसिरे सावी 6/2398*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1127*
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