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Wednesday 9 August 2017

*तौबा की बुन्याद* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : शर्मिन्दगी तौबा है।
*✍🏼سنن ابن ماجه*

     चुकी गुज़श्ता गुनाहो पर नदामत (शर्मिन्दगी) तौबा का रुकने आला है की इस पर बाक़ी सारे अरकान मबनी है, इस लिये सिर्फ नदामत का ज़िक्र फ़रमाया। जो किसी का हक़ मारने पर नादिम होगा तो हक़ अदा भी कर देगा, जो बे नमाज़ी होने पर शरमिन्दा होगा वो गुज़श्ता छूटी नमाज़े क़ज़ा भी कर लेगा أن شاء الله.
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 3/379*

     हमे चाहिये की नदामते क़ल्बी को पाने के लिये इन मदनी फूलों पर अमल करे :
     (1) अल्लाह की नेअमतो पर इस तरह गौरो फ़िक्र करें कि "उस ने मुझे करोडहा नेअमतों से नवाज़ा मसलन मुझे पैदा किया..मुझे ज़िन्दगी बाक़ी रखने के लिये सांसे अता फ़रमाई..चलने के लिये पाऊं दिये.. छूने के लिये हाथ दिये.. देखने के लिये आँखें अता फ़रमाई.. सुनने के लिये कान दिये.. सूंघने के लिये नाक दी.. बोलने के लिये ज़बान अता की और करोडहा ऐसी नेअमते अता फ़रमाई जिन पर आज तक में ने कभी गौर नहीं किया।" फिर अपने आप से यूँ सुवाल करे : क्या इतने एहसानात करने वाले रब की ना फ़रमानी करना मुझे ज़ैब देता है ?

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 37*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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