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Thursday 31 August 2017

*तकबीर तशरीक़*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

9 ज़िल हज्जा की फ़ज्र से 13 ज़िल हज्जा की अस्र तक हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद बुलन्द आवाज़ से एक मर्तबा तकबीर कहना वाजीब है [और तीन मर्तबा कहना अफ़ज़ल है] मर्द बुलन्द आवाज़ से कहें और औरतें धीरी आवाज़ से कहें ।
*✍🏼अल औसत - इब्न मंजर: 2209*

तीन मर्तबा कहना इस लिए अफ़ज़ल है के इन दिनों मे कसरत से ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अकबर और अल्हम्दुलिल्लाह कहने का हुक्म है ।
*✍🏼अहमद: 5445*

तकबीर तशरीक़ यह हैं: *अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द*
الله اکبر الله اکبر لا اله الا الله,
والله اکبر  الله اکبر ولله الحمد
*✍🏼अल मुसन्नफ़ - इब्न अबीशैबा: 5652*

*_जन्नत की ख़ुशख़बरी_*
जब भी कोई तकबीर कहने वाला तकबीर कहता है तो उसे ख़ुशख़बरी दी जाती है, पुछा गया जन्नत की? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: हाँ! ।
*✍🏼अल औसत - तबरानी: 7775*

ऐ अल्लाह! हमें ज़्यादा से ज़्यादा तकबीरात कहने की तौफ़ीक अता फ़रमा । आमीन

जुमुआ फज्र से लेकर मंगल की अस्र तक इस तकबीर को पढ़ना है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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