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Sunday 27 August 2017

*83 आसान नेकियां* #40
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान भाई के लिये मुस्कुराना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अपने भाई से मुस्कुरा कर मिलना तुम्हारे लिये सदक़ा है और नेकी की दावत देना और बुराई से मना करना सदक़ा है।
*✍🏼سنن ترمزى*

*_मगफिरत करदी जाती है_*
     हज़रते नुफैअ आमी رضي الله عنه फ़रमाते है कि हज़रते बरा बिन आज़िब رضي الله عنه से मेरी मुलाक़ात हुई तो उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझ से मुसाफहा फ़रमाया और मुस्कुराने लगे, फिर पूछा : जानते हो में ने ऐसा क्यू किया ? में ने अर्ज़ की : नहीं। तो फरमाने लगे कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने मुझे शरफे मुलाक़ात बख्शा तो मेरे साथ ऐसे ही किया फिर मुझ से पूछा : जानते हो में ने ऐसा क्यू किया ? में ने अर्ज़ की नहीं। आप صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया कि जब दो मुसलमान मुलाक़ात करते वक़्त मुसाफहा करते है और दोनों एक दूसरे के सामने अल्लाह के लिये मुस्कुराते है तो उन के जुदा होने से पहले ही उन की मगफिरत कर दी जाती है।
*✍🏼المعجم الوسيط*

     मज़कूरा हदिष में लफ्ज़ "अल्लाह के लिये" अच्छी निय्यत की सराहत करता है। बहर हाल किसी मुसलमान से हाथ मिलाना और दौराने गुफ्तगू मुस्कुराना सिर्फ इसी सूरत में बाइषे षवाबे आख़िरत व मगफिरत है जब की ये हाथ मिलाना और मुस्कुराना सिर्फ अल्लाह की रिज़ा पाने की निय्यत से हो। अपनी मिलनसारी का सिक्का जमाने, किसी मालदार या सियासी शख्शिययत की ख़ुशनूदी पाने, दुन्यवी मज़मुम मफाद परस्ती वाली जाती दोस्ती बढ़ाने और معاذ الله अम्रद के हाथों के छूने और उस की जवाबी मुस्कुराहट के ज़रीए गुनाहों भरी लज़्ज़त पाने वगैरा बुरी निय्यतो के साथ न हो।
*✍🏼नेकी की दावत, 248*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 115*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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